रस्म रिवाज बना पार्क परिक्षेत्र में स्थानीय क्षेत्र के ही अमानक पत्थरो का निर्माण कार्य मे उपयोग करना...

रस्म रिवाज बना पार्क परिक्षेत्र में स्थानीय क्षेत्र के ही अमानक पत्थरो का निर्माण कार्य मे उपयोग करना...

गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान में तालाब निर्माण के लिए पिचिंग कार्य में उपयोग की जा रही पार्क परिक्षेत्र की ही स्थानीय अमानक पत्थर जिनका  उपयोग बोल्डर के रूप में किया जा रहा है। सही है या गलत ये अधिकारी भी बताना सही नही समझते लेकिन एक बात तो तय है कि पार्क परिक्षेत्र एक संरक्षित क्षेत्र है जहाँ से कोई आम आदमी न जा सकता है न ही पार्क परिक्षेत्र क्षेत्र को कोई हानि नही पहुचा सकता है। ऐसा कई बार अधिकारी दबी जुबान से कहते नजर आते है। पार्क परिक्षेत्र का कई हिस्सा जहा आबादी वाले गांव बसे है। गांव के करीब ही निर्माण कार्य चलता है तो सामने सवाल खड़े होते है । पार्क परिक्षेत्र के प्रशासनिक तौर से जिम्मेदार पार्क परिक्षेत्र के संरक्षक या संरक्षक के भेस में भक्षक बन बैठे है ऐसा क्यों हम आपको आगे की पूरी स्टोरी बताते है।

ताजा मामला

ताजा मामला गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर अंतर्गत पार्क परिक्षेत्र रेहड़(मोहली)बढवार बिट जिला सुरजपुर अंतर्गत का है जहाँ के मूर्धवा बहरा में एक तालाब का निर्माण लगभग हो सा गया है दूसरे में कार्य प्रारंभ है। ग्राउंड जीरो पर छतरंग के स्थानीय ग्रामीणों के साँथ the लाल10 की टीम मौके स्थल पर पहुची जहाँ पर पार्क परिक्षेत्र अंतर्गत ही संदेही अमानक पत्थरो का संग्रहण कर(तोड़वा कर) बोल्डर के रूप तालाब पिचिंग का कार्य किया जा रहा था। कार्य मे लगे 5 से 6 मजदूरों ने बताया कि पत्थरो को पार्क परिक्षेत्र से ही लाया जा रहा है। और तालाब पिचिंग कार्य मे उपयोग किया जा रहा है।  

यहाँ जल संरक्षण हो सकता है फेल

तालाब निर्माण कार्य मे अमानक व गुणवत्ताहिन पत्थरो का उपयोग बारिस आसानी से बहा ले जा सकती है क्योंकि देखने से प्रतीत होता है कि सिर्फ दिखावे व फोटो ग्राफ्स के लिए ऊपरी बोल्डर की कवर लगाई जा रही मानो वॉलपेपर क्योकि मानक बोल्डर का उपयोग होता तो तालाब के मेड के अंदर तक पकड़ होती लेकिन अमानक व कम लंबाई,चौड़ाई के पत्थर का उपयोग चादर डालने जैसा है जिसे गिला होने पर निकाल कर सूखा लिया जाएगा तात्पर्य की क्षातिग्रस्त होने पर सुधार कार्य के लिए शासन के भंडार में हाँथ मारने जैसा कार्य किया जा रहा है। दूसरी ओर बारिस से जल भराव जिसे संरक्षित रखना है वे बेकार जाएंगे जिसका खामियाजा जीव जंतु समेत गांव के किसानो को भुगतना पड़ेगा इतना ही नही भू जल को बढ़ाने की कोशिस जो वर्तमान छत्तीसगढ़ की सरकार कर रही है वो भी कही न कही जिम्मेदारों की इस करामात से प्रभावित होंगे।

कई वृक्षो की बली

तालाब निर्माण कार्य मे कई हरे भरे वृक्षो की बली चढ़ गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कई वृक्ष तो काट कर तालाब की मेड में दफन कर दी गई है। कई अधूरे जिंदगी जी रहे है क्योंकि उनकी सतह की मिट्टी काट दी गई है। कई वृक्ष घायल अवस्था मे खड़े है वृक्षो को ऐसी मौत और घायल करने वाले ये विभाग के ही जिम्मेदार है जिन्होंने जल जंगल जमीन वन्य जीव की रक्षा की शपथ ली है। 

मीडिया कर्मी को नही मिलता अधिकारीक जवाब

पूरे मामले को हमने व्हाट्सअप सोसल मीडिया के माध्यम से पार्क परिक्षेत्र रेहड़ के रेंजर साहब को भेजा और उनका पक्ष जानने का प्रयास किया लेकिन साहब की ओर से कोई भी जवाब नही मिला जिससे जाहिर होता है कुछ तो गड़बड़ है जो इस तरह से चुप्पी साधे बैठे है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि साहब समय समय पर निरीक्षण करने भी आते रहते है उसके बाद भी ऐसा निर्माण कार्य होना कई सवालों को जन्म देता है । स्थिति तोथा चना बाजे घना जैसी लगती है।