उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व पूरे जिले में काफी उत्साह के साँथ मनाया गया पर्व

उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ छठ महापर्व पूरे जिले में काफी उत्साह के साँथ मनाया गया पर्व

बैकुंठपुर के जोड़ा तालाब में काफी उत्साह के साँथ व्रतियों ने परिवार के साथ कि पूजा अर्चना काफी संख्या में पहुचे थे श्रद्धालु वही तालाब के किनारे भरपूर सजाया गया था जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।

यही नजारा सोनहत के हसदो नदी तट पर भी देखने को मिली उगते सूरज को अर्ध्य देने परिवार के साँथ व्रतियों ने की विशेष पूजा भक्ति मय में डूबा रहा क्षेत्र

चरचा कॉलरी के छठ घाट पर भव्य साज सज्जा की गई । जबलपुर के कलाकार द्वारा आर्केस्ट्रा संगीत की प्रस्तुति दी गई।

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय की परंपरा से होती है. उसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और चौथे दिन अर्घ्य दिया जाता है. इससे ही छठ के पर्व का समापन होता है देशभर में छठ के महापर्व का आज समापन हो गया. तीन दिन के इस त्योहार के आखिरी दिन महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया. 

छठ पूजा में सूर्य भगवान और माता छठी की पूजा की जाती है. छठ पर्व में महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ का पर्व साल में दो बार आता है. छठ की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ हुई थी. छठ का ये पर्व संतान की सुख समृद्धि, अच्छे सौभाग्य और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. साथ ही यह व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी रखा जाता है.

छठ का धार्मिक महत्व

ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से तेज, आरोग्यता और आत्मविशवास की प्राप्ति होती है. दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह को पिता, पूर्वज, सम्मान का कारक माना जाता है. साथ ही छठी माता की अराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है. इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है.